Tuesday, August 10, 2010

संघर्ष

-दिनेश कुमार-
समय किसी का इंतजार नहीं करता। वह अपने समय के अनुसार बदलता रहता है। मैंने बचपन से लेकर अबतक कई ऐसे परिवारों को देखा है जिन्होंने जिंदगी के हर पहलू को जाना और समझा है। आज दुनिया में ऐसे बहुत से परिवार हैं जो गरीबी के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में कभी सोचा भी नहीं होगा। अगर इनशान हिम्मत व मेहनत से काम ले तो प्रकृति भी उसकी साथ देती है। मैं ऐसे ही एक परिवार की घटना बताने जा रहा हूं। जो अपने परिवार को संवारने के लिए अपनी पूरी मेहनत लगा दी।
मेरे गांव के पास एक संपन्न परिवार रहता था जिसे किसी चीज की कमी नहीं थी। यह परिवार अपने खेती-बाड़ी का काम किया करता था। घर में नौकर-चाकर भी थे। लेकिन समय की मार ऐसे पड़ी कि देखते ही देखते पूरा परिवार एक मझधार में ऐसा फंसा कि पूछो मत। कहते हैं कि गलत लोगों से दोस्ती सही नहीं होती। कुछ ऐसा ही इस परिवार के साथ हुआ जो घर के मुखिया तो थे ही गांव के भी मुखिया थे। उनके एक मित्र थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वह दोस्त एक गरीब परिवार से ताल्लूकात रखता था। वह कम समय में अमीर बनना चाहता था। वह अकसर अपने मुखिया मित्र से इस बारे में बातें किया करता था। मुखिया जी अक्सर उसे समझाते थे कि मेहनत से ही आदमी को अपनी जिंदगी में आगे बढऩा चाहिए न कि कोई गलत कार्य करके। क्योंकि किया गया काम अगर गलत है तो उसका नतीजा भी एक दिन गलत ही होगा। लेकिन उसको मुखिया की एक भी बात समझ में नहीं आती थी। उसे तो बस एक ही धुन थी कि जल्द से जल्द मुखिया से भी ज्यादा पैसा कमा लूं। मुखिया के परिवार वाले भी मुखिया को उस व्यक्ति से दूर रहने के लिए कहा करते थे, लेकिन मुखिया जी तो अपनी दोस्ती के कारण मजबूर थे। उनका मानना था कि अगर मैंने उसे नहीं समझाया तो वह कोई गलत काम न कर बैठे। लेकिन वही हुआ जिसका मुखिया के पिरवार वालों को डर था। एक दिन मुखिया का दोस्त रात के करीब बारह बजे उनके घर आया और बोला कि उसका उसके घर पर झगड़ा हो गया है और वह कुछ दिन उनके घर पर ही रहना चाहता है। मुखिया जी का घर काफी बड़ा। उन्होंने अपने मित्र को बाहर का एक कमरा दे दिया।
तीन चार दिन बीत जाने के बाद एक दिन उनके घर पर पुलिस आई और उस व्यक्ति को पकड़ ली। जब मुखिया को इस बात का पता चला तो वह भी अपने मित्र के पास आ गये। मुखिया ने देखा कि दस-बारह पुलिस कर्मी उसके मित्र को पकड़े खड़े थे। उसने पुलिस वालों से पूछा कि क्या बात है? इसको क्यों पकड़े हो? तुम्हारा दोस्त खूनी है। एक पुलिस वाले ने जवाब दिया। इसने एक नहीं बल्कि चार-चार खून किया है। यह सब सुनकर मुखिया सन्न रह गया। वह सिर पर हाथ रखे जमीन पर ही धम्म से बैठ गया। फिर पुलिस वालों ने मुखिया के दोस्त से पूछा कि बता तेरे साथ और कौन-कौन हैं? उसने मुखिया का नाम भी बता दिया। बस फिर क्या था, पुलिस ने मुखिया को भी गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने जब उस कमरे की तलाशी ली तो वहां पर चोरी का सामान और हत्या में शामिल हथियार भी मिला। पुलिस मुखिया और उसके दोस्त को पकड़ कर थाने ले आई। इसके बाद से मुखिया के परिवार की तबाही शुरू हो गयी।
एक साल तक मुखिया के बीबी बच्चों ने अपने पास जितना भी पैसा था सब अदालतों और वकीलों के चक्कर काटते हुए खर्च कर दिया। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। सालों तक मुकद्दमा चलने के बाद मुखिया और उसके दोस्त को दस-दस साल की सजा हो गई। सजा होने के बाद मुखिया के चचेरे भाई उसके सारे खेतों पर अपना कब्जा जमा लिया। जब यह बात मुखिया को पता चली तो उसे इतना दुख हुआ कि उसने जेल में ही दम तोड़ दी। मुखिया की मौत के बाद उसकी पत्नी छह बच्चों के साथ गांव में ही एक छोटे से मकान में रहने लगी। पहले जो उनका बड़ा मकान था वह मुखिया का केस लड़ते हुए बिक चुका था। अब मुखिया की पत्नी के सामने समस्या यह थी कि बच्चों को कैसे पाले-पोशे। काम वाम तो वह कुछ जानती नहीं थी और रहा जमीन का सवाल तो उसे मुखिया का चचेरा भाई पहले ही हड़प चुका था।
एक दिन मुखिया की पत्नी से बच्चे ने पूछा कि मां हमे अब कभी पेट भर खाना नहीं मिलेगा। तो मुखिया की पत्नी रो पड़ी और वह अगले ही दिन मजदूरी करने लगी। अब उसे जो पैसा मिलता था वह उससे अपने बच्चों के लिए रोटी का इंतजाम करती और खुद भूखा रहकर बच्चों का पेट पालती। बच्चे जब किसी जरूरत के लिए रोते तो वह जवाब देती कि बेटा समय सदा एक सा नहीं होता। जैसे हमारा बुरा दिन आया है वैसे ही अच्छा दिन भी आएगा।
उसने अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए रात दिन मेहनत की और अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला करवाया। समय जैसे-जैसे बीतता गया बच्चे बड़े होते गए। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों ने भी छोटा मोटा काम शुरू कर दिया जिससे मां को सहारा मिल गया। गांव के कुछ अच्छे लोगों ने मुखिया की दो बेटियों की शादी करवा दी। अब मुखिया के दोनों लड़के और दोनों लडि़कियां पढ़ाई पूरी करने के बाद घर का सारा बोझ अपने कंधों पर ले लिया। उन्होंने अपने मां की भी जमकर सेवा की।
आज समय बदल चुका है। तीन बच्चों के पास सरकारी नौकरी है और अपना एक बड़ा सा घर है। अब उनकी मां उनसे कहती है कि बेटा मै कहती थी न कि समय सदा एक सा नहीं रहता। कभी गम कभी खुशी जिंदगी के दो पहलू हैं। जो ङ्क्षदगी से लड़ा वही अपनी जिंदगी में आगे बढ़ा। जो दुखों से डर कर रह गया वह कभी भी अगे नहीं बढ़ सकता है।