Monday, September 20, 2010

एक होमगार्ड की कहानी उसी की जुबानी

देश में बेरोजगारी और महंगाई इस कदर बढ़ रही है कि लोगों का जीना दुश्वार हो गया है।  पढ़े-लिखे नौजवान नौकरी के लिये मारे-मारे फिर रहे हैं और हमारी सरकार है कि आतंकवाद का माला जपने में मशगूल है। जब भ्रष्टïाचार और महंगाई के विरोध में जनता के अंदर आक्रोश के बीज अंकुरित होना शुरू होते हैं तो यह सरकारें उनके आक्रोश पर पानी छिड़कने के लिए आतंकवाद और मंदिर, मस्जिद का सवाल पैदा कर देती हैं, जिससे लोगों का ध्यान बंट जाए और हमारे नेता अपनी तिजोरियां भरें। ज्यादातर गरीबों-मजदूरों के पढ़े-लिखे बेटे दस-बीस हजार रुपये घूस दे कर होमगार्ड्स की नौकरी कर लेते हैं क्योंकि अन्य नौकरी के लिए उन्हें दो से तीन लाख रुपये तक घूस देने पड़ते हैं। जिसके बारे में वे सपने में भी नहीं सोच सकते। लेकिन वहां पर भी उन्हें मात्र दिहाड़ी मजदूर की तरह रखा जाता है। जो संबंधित अधिकारी का आवभगत करे, उसे साल भर में लगभग छह माह की ड्यूटी मिल जाती है, लेकिन जो हाड़तोड़ मेहनत करे उसे साल में दो माह ड्यूटी मिल जाए वही बहुत है। उन्हें इस तरह से तबाह कर दिया जाता है कि वे कहीं के नहीं रहते। उन्हें चैन से जीने तक भी नहीं दिया जाता है।  
वैसे भी सरकारी नियमानुसार प्रत्येक होमगाडर््स को ड्यूटी सेक्टर के अनुसार लगभग छह महीने दिया जाता है। बाकी का वे छह महीने फांके मारें। इसके बावजूद संबंधित अधिकारी बी.ओ. दो सौ से लेकर पांच सौ रुपये तक घूस लेकर उनकी ड्यूटी लगाते हैं। जो पैसा न दे उसे घर पर बैठना पड़ता है। कभी-कभी तो संबंधित अधिकारी उनके साथ इस तरह पेश आते हैं कि उनकी जिंदगी नरक बन जाती है।  इन अधिकारियों द्वारा होमगार्डों का जबरदस्त शोषण किया जाता है। उन्हें अपने खून-पसीने की कमाई का लगभग आधा हिस्सा बी.ओ. को ही दे देना पड़ता है। ड्यूटी तो ली जाती है एक सिपाही से ज्यादा, लेकिन मजदूरी एक दिहाड़ी मजदूर के बराबर भी नहीं। जो मिलता भी है, उसमें से अधिकारी का हिस्सा भी देना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश स्थित सिद्धार्थनगर जिले के लोटन ब्लाक के गांव धंधरा के रहने वाले शिवकुमार और पास के गांव के हरिनारायण सिंह बताते हैं कि ड्यूटी लगाने के बाद प्रत्येक होमगार्ड्स से गोपनीय तरीके से अधिकारी बी.ओ. रिश्वत का पैसा वसूलते हैं। जो नहीं देता उसे ड्यूटी, परेड और विभागीय कमी बताकर परेशान किया जाता है। संबंधित अधिकारियों से शिकायत करने पर बी.ओ. से घूस लेकर उसे बचा लिया जाता है और शिकायत करने वाले होमगार्ड की छह-छह माह तक ड्यूटी ही नहीं लगाई जाती है। दोबारा इंट्री करने के लिए मेहनत की कमाई का एक हिस्सा प्रति माह अधिकारी को देना पड़ता है। 
इसी तरह सिद्धार्थनगर जिले में उस्का ब्लाक कम्पनी कमान होमगार्ड्स के बी.ओ. सरविंद सरोज द्वारा होमगार्डों से खुलेआम लिए जा रहे घूस और उसके अत्याचार से पीडि़त होमगार्ड की व्यथा को उसी की जुबानी में पेश कर रहे हैं।
मैं उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के धंधरा गांव का रहने वाला हूं। उस्का बाजार, विकास क्षेत्र में होमगार्ड कंपनी में अवैतनिक रूप में नौकरी कर रहा हूं। हमारे उस्का बाजार के वर्तमान बी.ओ. सरविंद सरोज ने ड्यूटी लगाने के नाम पर हमसे 400 रुपये रिश्वत लेता है। मैंने जब इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की तो उसने मुझे धमकी दी और कहीं भी ड्यूटी पर नहीं लगाया। बी.ओ. ने ऊपर से यह आरोप लगाया कि ट्रेनिंग पर नहीं गये जबकि उसके संबंध में कोई लिखित सूचना हमें नहीं दी गई। मुझसे 500 रुपये बैंक समरी एकाउंट गलत होने पर उसे ठीक करवाने के लिए बी.ओ. सरविन्द सरोज ने खुद  लिया। ड्यूटी लगाने के लिए मेरे अन्य साथियों से जब रिश्वत की मांग की तो उन्होंने मना कर दिया। इस पर बी.ओ. ने हम लोगों की ड्यूटी नहीं लगाई। इसकी शिकायत करने पर पिछले दस माहीने से हम लोगों को ड्यूटी पर नहीं लगाया गया, जिससे हमारा परिवार भूखों मरने की कगार पर है। जो लोग बिना शिकायत किये बी.ओ. साहब को पैसा दे रहे हैं, उनको ड्यूटी पर बराबर लगाया जाता है। इसी प्रकार दूसरे होमगार्ड हरिनारायन सिंह से लड़की की शादी में छुट्टïी देने के नाम पर बी.ओ. साहब ने 2100 रुपये ले लिया। इसके साथ ही उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि यदि किसी से शिकायत करोगेे तो नौकरी से निकाल देंगे। हम लोग मामले की शिकायत जिले के डीएम और मंडल स्तर के प्रभारी अधिकारी से किया। मंडल स्तर के अधिकारी द्वारा 13 अगस्त 2010 को उस्का बाजार डाक बंगले पर हम लोगों से साक्ष्य सबूत की मांग की गयी। जिसे हम लोगों ने बी.ओ. द्वारा किये गये वार्तालाप और रिश्वत की मांग का रिकार्ड किया हुआ कैसेट भी दे दिया। होमगार्ड रणजीत, उमेश, राधेश्याम, जमुना आदि का बयान भी लिया गया। जिन लोगों से बी.ओ. सरविन्द सरोज ने ड्यूटी लगवाने के नाम पर रिश्वत ली थी, उस मामले में आज तक मंडल स्तर के अधिकारियों ने कोई भी कार्रवाई नहीं की। बी.ओ. सरोज अभी भी पैसा लेकर होगाडर््स को ड्यूटी देते हैं। शिकायत करने पर हम लोगों को ड्यूटी देना भी बंद कर दिए हैं। यह भ्रष्टïाचार और अनैतिकता कि हद है। हम लोगों ने उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारी के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई किया जाए। क्योंकि इस समय ड्यूटी न लगने से मैं और मेरे साथी भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। यहां तक कि हम अपने बच्चों के पढ़ाई का फीस भी नहीं दे पा रहे हैं।
इस मामले की शिकायत हम लोगों ने लिखित रूप से मुख्यमंत्री मायावती, मुख्य सचिव लखनऊ, तथा मंडल होमगाडर््स प्राधिकारी गोरखपुर को भेज चुके हैं। इसके बावजूद मेरी शिकायत नहीं सुनी जा रही है। अब हम यह मान चुके हैं कि देश का यह पूरा तंत्र ही भ्रष्टï हो चुका है।

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